नरेश जनप्रिय
मंदार तुझे शत बार नमन ।
एक शिलाखंड अवतार नमन॥
अति गरिमामयी तेरा अतीत
तेरी वेद-पुराण में भरी कथा ।
समस्त देवों के हित तूने
मथनी बनकर सागर को मथा ॥
तेरे ही श्रम से, हे मंदार !
निकले समुद्र से चौदह रतन ।
मंदार तुझे शत बार नमन॥
तुम सब धर्मों के केंद्र स्थल
अनगिनत कुंड तेरी गर्दन पर ।
हो जाते धन्य-धन्य मानव
तेरे पावन भाल का दर्शन कर॥
सृष्टि के मूक गवाह को पा
आह्लादित बांका का कण-कण ।
मंदार तुझे शत बार नमन॥
सुन्दर रचना, मंदार पर
ReplyDeleteDhanywaad Lallan Ji. Aapka aabhaar.
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